चेहरे पे सफाई रहती है, दिल में गंदगी रहती है
मुखौटा लगा घूमा करते हैं, सच्चाई से मुंह मोड़ा करते हैं
बद से बदनाम हो, उससे हम डरा नहीं करते हैं ...
हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है।
भ्रष्टाचार जो होता है, वह हमें जान से प्यारा होता है
ज्यादा लालच हम करते हैं, थोड़े में अब गुजारा नहीं होता है
कन्या की भ्रूण हत्या भी हम कोख में किया करते हैं।
हम उस देश के वासी हैं ……
कुछ जो कम जानते हैं, वे मालिक यहां बन जाते हैं
हैं पूरब वाले जान की कीमत हम कम जानते हैं
फूट डालो, राज करो पर यहां रहनुमा ज्यादा जोर देते हैं ।
हम उस देश के वासी हैं ……
अपनी भाषा छोड़कर गैरों की भाषा अपनाया करते हैं
मतलब के लिए हम गधे को भी बाप बनाया करते हैं
हम क्या दुनिया कहती है, रुपए की कीमत गिरा डालर को बढ़ाते हैं
हम उस देश के वासी हैं ……
राजकाज में मिलीभगत को हम रोज सींचा करते हैं
भ्रष्टाचार को नित अमरबेल की तरह बढ़ाया करते हैं
पाखण्ड के परवान पर खुद को चढ़ाया करते हैं
हम उस देश के वासी हैं ……
गंगा को पूजा सदियों से, अब वह भी यहां रोया करती है
दूषित कर उसका मान भी हम घटाया करते हैं
परमार्थ को भी रौंदा करते हैं, मौका पाकर हम डसा भी करते हैं
हम उस देश के वासी हैं ……
इंसाफ में विश्वास नहीं, अब हम भेदभाव का मंत्र जपा करते हैं
जुगाड़बाजी से घोटालों को खूब अंजाम दिया करते हैं
ऐसा करके भारतमाता की इज्जत खुद घटाया करते हैं
हम उस देश के वासी हैं ……
ज्यादा लालच हम करते हैं, थोड़े में अब गुजारा नहीं होता है
कन्या की भ्रूण हत्या भी हम कोख में किया करते हैं।
हम उस देश के वासी हैं ……
कुछ जो कम जानते हैं, वे मालिक यहां बन जाते हैं
हैं पूरब वाले जान की कीमत हम कम जानते हैं
फूट डालो, राज करो पर यहां रहनुमा ज्यादा जोर देते हैं ।
हम उस देश के वासी हैं ……
अपनी भाषा छोड़कर गैरों की भाषा अपनाया करते हैं
मतलब के लिए हम गधे को भी बाप बनाया करते हैं
हम क्या दुनिया कहती है, रुपए की कीमत गिरा डालर को बढ़ाते हैं
हम उस देश के वासी हैं ……
राजकाज में मिलीभगत को हम रोज सींचा करते हैं
भ्रष्टाचार को नित अमरबेल की तरह बढ़ाया करते हैं
पाखण्ड के परवान पर खुद को चढ़ाया करते हैं
हम उस देश के वासी हैं ……
गंगा को पूजा सदियों से, अब वह भी यहां रोया करती है
दूषित कर उसका मान भी हम घटाया करते हैं
परमार्थ को भी रौंदा करते हैं, मौका पाकर हम डसा भी करते हैं
हम उस देश के वासी हैं ……
इंसाफ में विश्वास नहीं, अब हम भेदभाव का मंत्र जपा करते हैं
जुगाड़बाजी से घोटालों को खूब अंजाम दिया करते हैं
ऐसा करके भारतमाता की इज्जत खुद घटाया करते हैं
हम उस देश के वासी हैं ……